जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥ श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥ हाथो में त्रिशूल लिए है गले में है सर्पो की माला अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥ तुरत षडानन https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa